जरूर दर्द का जहर चखा है उसने....
लहजे में तल्खी टपकती है अब भी||
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आग सीने मेँ है तुम तपन देखते हो। वो खाली दिल तुम बदन देखते हो। क्यूँ परेशां हैँ मेरी आंखेँ दीदार को, हर्फ तौले हुए हैँ और तुम वज़न देखेते...
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तेल की कुछ बूंद बाक़ी हैं यूं ही रौशन हैं ये। इन चराग़ों को न छूना उंगलियां जल जाएंगी॥
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GREAT LINES SAID BY- MR.RAHAT INDORI, तूफानों से आंख मिलाओ सैलाबों पर वार करो मल्लाहों का चक्कर छोड़ो तैर के दरिया पार करो तुमको तुम्हारा...
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आग सीने मेँ है तुम तपन देखते हो। वो खाली दिल तुम बदन देखते हो। क्यूँ परेशां हैँ मेरी आंखेँ दीदार को, हर्फ तौले हुए हैँ और तुम वज़न देखेते...
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