Saturday 23 July 2016

सच्चाई

वो इस कमाल से खेला था इश्क की बाजी,
मै अपनी फतह समझता रहा मात होने तक.

आग सीने मेँ है तुम तपन देखते हो। वो खाली दिल तुम बदन देखते हो। क्यूँ परेशां हैँ मेरी आंखेँ दीदार को, हर्फ तौले हुए हैँ और तुम वज़न देखेते...