जरूर दर्द का जहर चखा है उसने....
लहजे में तल्खी टपकती है अब भी||
Wednesday 6 April 2016
Subscribe to:
Posts (Atom)
आग सीने मेँ है तुम तपन देखते हो। वो खाली दिल तुम बदन देखते हो। क्यूँ परेशां हैँ मेरी आंखेँ दीदार को, हर्फ तौले हुए हैँ और तुम वज़न देखेते...
-
तेल की कुछ बूंद बाक़ी हैं यूं ही रौशन हैं ये। इन चराग़ों को न छूना उंगलियां जल जाएंगी॥
-
GREAT LINES SAID BY- MR.RAHAT INDORI, तूफानों से आंख मिलाओ सैलाबों पर वार करो मल्लाहों का चक्कर छोड़ो तैर के दरिया पार करो तुमको तुम्हारा...
-
आग सीने मेँ है तुम तपन देखते हो। वो खाली दिल तुम बदन देखते हो। क्यूँ परेशां हैँ मेरी आंखेँ दीदार को, हर्फ तौले हुए हैँ और तुम वज़न देखेते...