Wednesday 22 February 2017

हवा का एक  एक झोंका था
 शायद तेरा प्यार ।
जो लम्हा बनकर आया
और  एक पल में गुजर गया ।।
प्यार नही था दिल में
या ऐतबार न था मुझपर ।
ऐसी क्या खता हो गयी मुझसे
 जो तू खुद से मुकर गया ।।
सोचता हूँ सुनाऊ किस्सा तुम्हें
 हाल -ऐ - दिल का अपने ।
पर मैं तेरी बेरुखी से डर गया ।।
कह ना सका मैं तुझसे
दास्तान - ऐ -मुहब्बत अपनी ।
दर्द था जो सीने में
वो कतरा बनकर आँखों में भर गया ।।
 अवधेश। 14/02/17

---------- Avdhesh Sonkar

आग सीने मेँ है तुम तपन देखते हो। वो खाली दिल तुम बदन देखते हो। क्यूँ परेशां हैँ मेरी आंखेँ दीदार को, हर्फ तौले हुए हैँ और तुम वज़न देखेते...