Thursday 29 November 2012
Wednesday 28 November 2012
कोशिश -इक नई सुबह
हम नहीं जानतें जो हम करने की सोच रहे हैं,उसमे हमारा लोग कितना साथ देंगे जब 31 दिसंबर 2012 को सम्पूर्ण विश्व के लोग अपने अपने नशे में चूर होंगे (नशे कई तरह के हो सकते हैं इस पहलू को आप मुझसे अच्छी तरह जानते हैं ) या आप यूँ समझ ले की सब अपने अपने तरीके से नए वर्ष की प्रभात बेला का स्वागत कर रहे होंगें तब हम (कोशिश वेलफेयर सोसायिटी ) के चंद लोग शहर के अँधेरे गलियारों में ठण्ड में कपकपाते हुए गरीब लोगों की सर्दी को दूर करने के लिए गर्म कपड़े बाँटकर ठंडी को दूर करने की छोटी सी कोशिश कर रहें होंगे .
क्या आप लोग हमारा इस नेक काम में साथ देगें ?
नोट - जो लोग इस नेक काम में नए या पुराने कपड़े देकर हमारा साथ देना चाहतें हो वो लोग हमें इन नंबरों में काल करके करें ,
1- शाहिद अजनबी -9044510836
2-आनन्द पाण्डेय -9161113444
3-संजीव सिंह -9161112444
4-कौशल किशोर श्रीवास्तव -96959400015
हमारी टीम आपके पास आकर वो नए या पुराने कपड़े एकत्रित कर लेगी .
निवेदक -कोशिश वेलफेयर सोसाईटी ,कानपुर .उत्तर प्रदेश .भारत .
Sunday 25 November 2012
बौछार
आठ ही बिलियन उम्र जमीं की होगी शायद ,
ऐसा ही अंदाजा है कुछ साइंस का ,
चार अछरिया छह बिलियन सालों की उम्र तो बीत चुकी है ,
...
कितनी देर लगा दी तुमने आने में ,
और अब मिलकर किस दुनिया की दुनियादारी सोच रही हो,
किस मज़हब और जात और पात की फ़िक्र लगी है ,
आओ चलें अब तीन ही बिलियन साल बचें हैं,
आठ ही बिलियन उम्र जमीं की होगी शायद ,
- गुलजार साहब
ऐसा ही अंदाजा है कुछ साइंस का ,
चार अछरिया छह बिलियन सालों की उम्र तो बीत चुकी है ,
...
कितनी देर लगा दी तुमने आने में ,
और अब मिलकर किस दुनिया की दुनियादारी सोच रही हो,
किस मज़हब और जात और पात की फ़िक्र लगी है ,
आओ चलें अब तीन ही बिलियन साल बचें हैं,
आठ ही बिलियन उम्र जमीं की होगी शायद ,
- गुलजार साहब
Friday 23 November 2012
Subscribe to:
Posts (Atom)
आग सीने मेँ है तुम तपन देखते हो। वो खाली दिल तुम बदन देखते हो। क्यूँ परेशां हैँ मेरी आंखेँ दीदार को, हर्फ तौले हुए हैँ और तुम वज़न देखेते...
-
तेल की कुछ बूंद बाक़ी हैं यूं ही रौशन हैं ये। इन चराग़ों को न छूना उंगलियां जल जाएंगी॥
-
GREAT LINES SAID BY- MR.RAHAT INDORI, तूफानों से आंख मिलाओ सैलाबों पर वार करो मल्लाहों का चक्कर छोड़ो तैर के दरिया पार करो तुमको तुम्हारा...
-
आग सीने मेँ है तुम तपन देखते हो। वो खाली दिल तुम बदन देखते हो। क्यूँ परेशां हैँ मेरी आंखेँ दीदार को, हर्फ तौले हुए हैँ और तुम वज़न देखेते...