Friday 8 September 2017

आह

तेल की कुछ बूंद बाक़ी हैं यूं ही रौशन हैं ये।
इन चराग़ों को न छूना उंगलियां जल जाएंगी॥

Wednesday 22 February 2017

हवा का एक  एक झोंका था
 शायद तेरा प्यार ।
जो लम्हा बनकर आया
और  एक पल में गुजर गया ।।
प्यार नही था दिल में
या ऐतबार न था मुझपर ।
ऐसी क्या खता हो गयी मुझसे
 जो तू खुद से मुकर गया ।।
सोचता हूँ सुनाऊ किस्सा तुम्हें
 हाल -ऐ - दिल का अपने ।
पर मैं तेरी बेरुखी से डर गया ।।
कह ना सका मैं तुझसे
दास्तान - ऐ -मुहब्बत अपनी ।
दर्द था जो सीने में
वो कतरा बनकर आँखों में भर गया ।।
 अवधेश। 14/02/17

---------- Avdhesh Sonkar

Tuesday 24 January 2017

Aao phir se likhte hain mohabbat  ka fasana ,

Main Tumhe beintha chahoonga aur tum mujhe phir chhod jana....


Anand Pandey............

आग सीने मेँ है तुम तपन देखते हो। वो खाली दिल तुम बदन देखते हो। क्यूँ परेशां हैँ मेरी आंखेँ दीदार को, हर्फ तौले हुए हैँ और तुम वज़न देखेते...